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जिंदगी में सिर्फ एक बार नहाती हैं महिलाएं! अफ्रीका की इस जनजाति के बारे में जानकर चौंक जाएंगे

अफ्रीका की इस रहस्यमयी जनजाति की जीवनशैली ऐसी है, जिसे जानकर आधुनिक दुनिया भी हैरान रह जाती है। ऐसा क्या कारण है कि यहाँ महिलाएं उम्रभर सिर्फ एक बार ही नहाती हैं? जानिए पूरी सच्चाई!

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जिंदगी में सिर्फ एक बार नहाती हैं महिलाएं! अफ्रीका की इस जनजाति के बारे में जानकर चौंक जाएंगे
जिंदगी में सिर्फ एक बार नहाती हैं महिलाएं! अफ्रीका की इस जनजाति के बारे में जानकर चौंक जाएंगे

अफ्रीका की हिम्बा जनजाति की महिलाएं अपने जीवन में सिर्फ एक बार, शादी के दिन ही पानी से नहाती हैं। यह अनोखी परंपरा नामीबिया के कुनानी क्षेत्र में रहने वाली इस जनजाति की पहचान है, जहां रेगिस्तानी जलवायु और पानी की कमी के कारण यह रीति बनी हुई है।​

धुआँ स्नान: प्राकृतिक स्वच्छता का तरीका

हिम्बा महिलाएं अपनी दैनिक स्वच्छता के लिए “धुआँ स्नान” का इस्तेमाल करती हैं। इसके लिए वे लोहे या मिट्टी के कटोरे में सुलगते कोयले और सुगंधित जड़ी-बूटियां जैसे ओमुजुम्बजुम्ब पौधे की पत्तियां डालती हैं। जब धुआँ उठने लगता है, तो वे उसके ऊपर झुककर खुद को कपड़े या कंबल से ढक लेती हैं, जिससे पूरा शरीर धुएँ से भर जाता है। यह धुआँ न सिर्फ गंध दूर करता है, बल्कि बैक्टीरिया और कीटाणुओं को भी खत्म कर देता है। यह एक प्राकृतिक स्टीम बाथ की तरह काम करता है, जो शरीर को शुद्ध और ताज़ा रखता है।​

ओत्जिज़े पेस्ट: सौंदर्य और सुरक्षा का प्रतीक

हिम्बा महिलाओं की त्वचा पर लगने वाला लाल रंग उनकी पहचान है, जो एक प्राकृतिक पेस्ट “ओत्जिज़े” से आता है। यह पेस्ट लाल गेरू (hematite) और पशु वसा (butterfat) को मिलाकर बनाया जाता है। यह न सिर्फ सौंदर्य के लिए है, बल्कि यह धूप, कीड़े और रेगिस्तानी हवा से त्वचा की रक्षा करता है। इसी कारण उन्हें “रेड वुमन ऑफ अफ्रीका” कहा जाता है। यह पेस्ट उनकी सांस्कृतिक पहचान और आत्म-सम्मान का प्रतीक भी है।​

बालों की सजावट और सामाजिक संकेत

हिम्बा महिलाएं अपने बालों को ओत्जिज़े पेस्ट से ढककर मोटी चोटियों में गूंथती हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में “ड्रेडलॉक्स” कहा जाता है। उनके बालों की बनावट और शैली से समाज में उनकी स्थिति का पता चलता है विवाहित महिलाओं, अविवाहित युवतियों और माताओं के बालों की शैली अलग-अलग होती है। इस तरह, उनके बाल उनकी कहानी बयां करते हैं।​

परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन

हिम्बा जनजाति ने आधुनिक दुनिया के बीच भी अपनी परंपराओं को बखूबी संभाल रखा है। उनका जीवन आज भी प्रकृति और संस्कृति पर केंद्रित है, और वे बाहरी प्रभावों को अपनाते हुए भी अपनी असली पहचान से जुड़े रहते हैं।​

संस्कृति से मिलने वाली सीख

हिम्बा महिलाओं की जीवनशैली यह सिखाती है कि स्वच्छता और सुंदरता सिर्फ पानी या आधुनिक साधनों पर निर्भर नहीं करती। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर इंसान में बुद्धिमत्ता और प्रकृति के प्रति सम्मान हो, तो वह सीमित साधनों में भी स्वाभिमान और सौंदर्य के साथ जीवन जी सकता है।​

Author
info@ammtcadmission.in

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