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45 साल पुराना आदेश लागू! DM के फैसले से शिक्षकों में मचा हड़कंप, आखिर क्या है पूरा मामला?

टिहरी डीएम नितिका खंडेलवाल के आदेश से अब सभी शिक्षकों को अपने स्कूल से 8 किमी के दायरे में रहना अनिवार्य होगा। जनप्रतिनिधियों की शिकायत के बाद यह कदम उठाया गया है ताकि शिक्षक समय से स्कूल पहुंच सकें। हालांकि, इससे दूर शहरों में रहने वाले शिक्षकों की परेशानी और आर्थिक बोझ बढ़ गया है।

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45 साल पुराना आदेश लागू! DM के फैसले से शिक्षकों में मचा हड़कंप, आखिर क्या है पूरा मामला?

उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में जिला मजिस्ट्रेट (DM) नितिका खंडेलवाल के हालिया आदेश ने शिक्षकों के बीच हलचल मचा दी है। दरअसल, डीएम ने एक नई गाइडलाइन जारी की है जिसके तहत अब सभी शिक्षकों को अपने स्कूल से 8 किलोमीटर के दायरे में ही निवास करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह आदेश आते ही उन शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है जो अब तक दूरस्थ शहरों से रोजाना लंबी दूरी तय कर स्कूल पहुंचते थे।

जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर कार्रवाई

बीते दिनों टिहरी में आयोजित एक जनसुनवाई के दौरान जनप्रतिनिधियों ने डीएम नितिका खंडेलवाल से शिकायत की थी कि कई स्कूलों में शिक्षक अपने तैनाती स्थल के पास नहीं रहते। इसके चलते वे रोजाना 50 से 80 किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि लंबा सफर तय करके आने से कई शिक्षक थक जाते हैं और इससे उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।

साथ ही स्कूल के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। कई बार तो वाहन न मिलने या मौसम खराब होने की वजह से शिक्षक स्कूल देर से पहुंचते हैं। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि अब सभी शिक्षक अपने कार्यस्थल के 8 किमी के अंदर ही रहेंगे, ताकि वे समय पर स्कूल पहुंच सकें और बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें।

मुश्किल में वे शिक्षक जो शहरों में रहते हैं

डीएम का यह आदेश आने के बाद सबसे ज़्यादा दिक्कत उन शिक्षकों को हो रही है जिन्होंने शहरों में अपने स्थायी घर या फ्लैट बना लिए हैं, जहाँ उनके परिवार रहते हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं जो टिहरी, ऋषिकेश, देहरादून, कोटद्वार, श्रीनगर और पौड़ी जैसे शहरों से रोजाना स्कूल आते-जाते हैं।
कुछ शिक्षक अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर टैक्सी हायर करते हैं, तो कुछ खुद अपनी गाड़ियों से पहाड़ी रास्तों पर रोजाना घंटों सफर तय करते हैं। अब उन्हें स्कूल के करीब कमरे किराए पर लेकर रहना होगा, जिससे उनका आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा।

कई शिक्षकों ने इस नियम को लेकर नाराज़गी भी जताई है। उनका कहना है कि दुर्गम क्षेत्रों में रहना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि वहां बेसिक सुविधाएं और सुरक्षा भी चुनौती है। वहीं, कुछ शिक्षकों का कहना है कि परिवार और बच्चों की पढ़ाई शहरों में छूट जाएगी, जिससे निजी जीवन पर असर पड़ेगा।

1981 का पुराना आदेश बना अब की सख्ती की वजह

दिलचस्प बात यह है कि यह नियम कोई नया नहीं है। डीएम नितिका खंडेलवाल ने बताया कि यह प्रावधान तो पहले से ही लागू है। वर्ष 1981 में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी आदेश के मुताबिक सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल से 8 किलोमीटर के दायरे में रहना अनिवार्य है।

हालांकि यह नियम लंबे समय से केवल कागजों तक सीमित था, लेकिन अब टिहरी में इसे सख्ती से लागू किया जा रहा है। शिक्षा विभाग को इस निर्देश के तहत सभी शिक्षकों का वर्तमान निवास सत्यापित करने को कहा गया है। जो शिक्षक दूर रहते पाए जाएंगे, उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है।

उद्देश्य: शिक्षण व्यवस्था में सुधार

डीएम के मुताबिक, इस निर्णय का मकसद शिक्षकों को परेशान करना नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना है। जब शिक्षक स्कूल के पास रहेंगे, तो वे समय से उपस्थित होंगे और छात्रों को अधिक गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई दे पाएंगे। टिहरी जैसे पहाड़ी इलाके में जहां मौसम और दूरी कार्य में बड़ी बाधा बनते हैं, वहां यह नियम डिसिप्लिन और एफिशिएंसी लाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कई बार देखा गया है कि लंबी यात्रा के कारण शिक्षक थके हुए पहुंचते हैं, जिससे क्लास में उनका फोकस कम हो जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए यह कदम ज़रूरी था।

शिक्षकों में असंतोष, पर उम्मीद भी

हालांकि आदेश को लेकर शिक्षकों के बीच असंतोष है, मगर कुछ लोग इसे सकारात्मक नज़रिए से भी देख रहे हैं। उनका कहना है कि इससे बच्चों की उपस्थिति, शिक्षण का स्तर और स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या यह आदेश अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा, क्योंकि अगर ऐसा हुआ, तो राज्यभर में हजारों शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं।

फिलहाल डीएम टिहरी का यह निर्णय शिक्षा जगत में चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। आने वाले हफ्तों में इसका असर न सिर्फ स्थानीय शिक्षक समाज बल्कि पूरे उत्तराखंड की शिक्षा नीति पर दिख सकता है।

Author
info@ammtcadmission.in

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