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Property Law: सरकारी जमीन पर मालिकाना हक! कितने साल बाद मिलता है ये अधिकार? जानें कानूनी तरीका

अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी जमीन पर लंबे समय तक कब्जा बनाए रखने से उस पर मालिकाना हक (Ownership Rights) हासिल किया जा सकता है? संपत्ति कानून के जानकारों के अनुसार, यह संभव है, लेकिन इसकी प्रक्रिया सामान्य संपत्ति कानूनों से अलग और जटिल है भारत में, सरकारी भूमि पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए 'प्रतिकूल कब्जे' (Adverse Possession) का सिद्धांत लागू होता है

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Property Law: सरकारी जमीन पर मालिकाना हक! कितने साल बाद मिलता है ये अधिकार? जानें कानूनी तरीका
Property Law: सरकारी जमीन पर मालिकाना हक! कितने साल बाद मिलता है ये अधिकार? जानें कानूनी तरीका

अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी जमीन पर लंबे समय तक कब्जा बनाए रखने से उस पर मालिकाना हक (Ownership Rights) हासिल किया जा सकता है? संपत्ति कानून के जानकारों के अनुसार, यह संभव है, लेकिन इसकी प्रक्रिया सामान्य संपत्ति कानूनों से अलग और जटिल है भारत में, सरकारी भूमि पर मालिकाना हक हासिल करने के लिए ‘प्रतिकूल कब्जे’ (Adverse Possession) का सिद्धांत लागू होता है, जिसके लिए एक लंबी समयावधि निर्धारित की गई है। 

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30 साल बाद मिलता है अधिकार

प्रॉपर्टी लॉ में ‘लिमिटेशन एक्ट, 1963’ (The Limitation Act, 1963) के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी या सार्वजनिक भूमि पर 30 वर्षों तक निरंतर कब्जा बनाए रखने के बाद ही कोई व्यक्ति मालिकाना हक का दावा कर सकता है, यह अवधि निजी संपत्ति के मामले में अलग है, जहां यह समय सीमा 12 साल निर्धारित है। 

प्रतिकूल कब्जे के लिए आवश्यक शर्तें

सरकारी जमीन पर मालिकाना हक स्वतः (automatically) नहीं मिलता है, इसके लिए न्यायालय में दावा सिद्ध करना पड़ता है और कुछ कानूनी शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है:

  •  दावेदार का कब्जा बिना किसी रुकावट के लगातार 30 वर्षों तक बना रहना चाहिए।
  •  कब्जा गुप्त रुप से नहीं, बल्कि सार्वजनिक और स्पष्ट होना चाहिए, ताकि सरकारी विभागों को इसकी जानकारी हो सके।
  • यह कब्जा सरकार की सहमति के बिना, बल्कि उनके स्वामित्व के प्रतिकूल (विरोधी) होना चाहिए।
  •  इस 30 वर्ष की अवधि के दौरान, सरकार द्वारा कब्जेदार को जमीन से हटाने के लिए कोई कानूनी या प्रशासनिक कार्रवाई शुरु नहीं की गई होनी चाहिए। 

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कानूनी प्रक्रिया: ऐसे करें दावा

यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त शर्तों को पूरा करता है, तो उसे मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए कानूनी रास्ता अपनाना पड़ता है।

  • कब्जेदार को अपने कब्जे वाली भूमि पर मालिकाना हक घोषित करवाने के लिए सिविल कोर्ट में एक मुकदमा (Suit) दायर करना होता है।
  •  कोर्ट में 30 साल से अधिक के निरंतर कब्जे को साबित करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य (जैसे- बिजली बिल, जल कर रसीदें, संपत्ति कर या अन्य सरकारी पत्राचार) प्रस्तुत करने पड़ते हैं। 

न्यायालय सभी सबूतों और तथ्यों की जांच करने के बाद ही किसी व्यक्ति के पक्ष में मालिकाना हक का अंतिम निर्णय देता है, यह कानून उन मामलों में लागू होता है जहां लंबे समय तक सरकारी जमीन उपेक्षित पड़ी रहती है।

Property Law
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info@ammtcadmission.in

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