
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित पूर्वांचल सहकारी बैंक (Purvanchal Co-operative Bank) का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद हजारों खाताधारक परेशान हैं क्योंकि अब वे बैंक से केवल ₹5 लाख तक ही अपनी जमा राशि निकाल पाएंगे।
RBI का यह फैसला अचानक नहीं लिया गया। बैंक की वित्तीय स्थिति लंबे समय से कमजोर चल रही थी। बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी बची थी और न ही आय के भरोसेमंद स्रोत। इसी कारण केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता बनाए रखने के लिए इसका लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया।
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क्यों रद्द किया गया लाइसेंस
रिजर्व बैंक ने अपनी जांच में पाया कि पूर्वांचल सहकारी बैंक के पास न तो जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने की पर्याप्त क्षमता बची है और न ही उसकी संपत्तियों से कोई उचित आमदनी हो रही है। ऐसे में बैंक का आगे संचालन न केवल जमाकर्ताओं के हित में नुकसानदायक होता बल्कि बैंकिंग सिस्टम पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता था।
आरबीआई ने इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए बैंकिंग रेगुलेशन अधिनियम की धारा 22 (ब) के तहत लाइसेंस कैंसिल कर दिया। इसका सीधा मतलब यह है कि अब बैंक किसी तरह की बैंकिंग गतिविधि जैसे जमा लेना, ऋण देना या चेक जारी करना नहीं कर सकेगा।
खाताधारकों को कितना मिलेगा पैसा
लाइसेंस रद्द होने के बाद अब पूर्वांचल सहकारी बैंक के सभी खाताधारक जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) के तहत अधिकतम ₹5 लाख तक की राशि प्राप्त कर सकेंगे। यानी अगर आपका इस बैंक में खाता था और उसमें ₹5 लाख या उससे कम की राशि जमा थी, तो आपको पूरा पैसा मिलेगा।
जानकारी के अनुसार, बैंक के लगभग 99.51% खाताधारक ऐसे हैं जिनकी जमा राशि ₹5 लाख से कम है। इसलिए इन ज्यादातर ग्राहकों को अपनी पूरी रकम मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी। हालांकि जिन लोगों की जमा राशि ₹5 लाख से अधिक है, उन्हें नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन करना होगा और DICGC के जरिए सीमित भुगतान ही संभव होगा।
बैंक की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी
पूर्वांचल सहकारी बैंक की वित्तीय स्थिति बीते कुछ वर्षों में लगातार बिगड़ती जा रही थी। बैंक के पास न तो adequate capital था और न ही earning prospects दिखाई दे रहे थे। इसके अलावा, बैंक के पास देनदारियों की तुलना में परिसंपत्तियाँ (assets) भी बहुत कम रह गई थीं। आरबीआई ने इस स्थिति को देखते हुए कहा कि अगर यह बैंक आगे चलता रहा, तो जमाकर्ताओं का हित प्रभावित होने के साथ-साथ पूरे बैंकिंग नेटवर्क की साख को भी नुकसान हो सकता है।
कैसे मिलेगा पैसा?
अगर आपका पैसा इस बैंक में अटका हुआ है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। DICGC की प्रक्रिया के तहत बैंकिंग लाइसेंस रद्द होने के बाद कुछ समय के भीतर बीमित राशि यानी ₹5 लाख तक का भुगतान खाताधारकों को किया जाता है।
इसके लिए खाताधारकों को अलग से आवेदन करने की ज़रूरत नहीं होती। बैंक से संबंधित जरूरी दस्तावेज पहले ही DICGC को भेजे जाते हैं, और उसके बाद भुगतान सीधे खाताधारकों के पंजीकृत बैंक खातों में किया जाता है। यदि किसी खाताधारक की जमा राशि ₹5 लाख से अधिक है तो शेष राशि बैंक की परिसंपत्तियों के परिसमापन (liquidation) के बाद, यदि कुछ फंड बचते हैं, तो मिल सकती है।
RBI की सख्ती क्यों जरूरी है
रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे छोटे सहकारी बैंकों पर कार्रवाई की है जो नियामक नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। इस तरह के कदम यह सुनिश्चित करते हैं कि बैंकिंग प्रणाली में transparency और public trust बना रहे। अगर कोई बैंक आर्थिक रूप से अस्थिर है और जमाकर्ताओं की सुरक्षा खतरे में है, तो RBI का हस्तक्षेप उनके हितों की रक्षा करता है।
















